Nivedita Endeavour for Social Transformation’ (NEST Bharat) is a movement of young women driven by the will to contribute to society towards the shared vision of Bharat.
We believe in ‘धर्मचक्र प्रवर्तनाय’ which means, ‘All tasks that are undertaken, however small they may appear to be, of giving back to the society, help in keeping this wheel of Dharma moving and everyone should play their role in it’. Therefore, the NESTlings through their actions and thought building, endeavour to contribute towards social transformation and also encourage fellow young women to play their part in Nation building.
In our group are students, homemakers and working professionals ranging from varied fields including Physicists, Doctors, CAs, UPSC aspirants, Lawyers, Urban planners, Journalists, Fashion Designers etc. The will to give back to society is what brings us together. We aim to achieve this objective through the process of ‘Believing in Bharat, Knowing Bharat, Becoming Bhartiya and Shaping Bharat!’
(In Hindi)
‘NEST Bharat’ भारत की एकात्म और सर्वांगीण अवधारणा को लेकर भारत को गढ़ने में अपना योगदान देने हेतु तरुण युवतियों का एक अभियान है।
“धर्मचक्र प्रवर्तनाय” हमारा “ध्येयसूत्र” है। इस समग्र समाज को अपना मानकर इस के लिए किए जा रहे सभी कार्य, छोटे या बड़े, इस “धर्मचक्र” को निरंतर गतिशील रखने में सहायक होते हैं और प्रत्येक का अमूल्य योगदान इसमें अपेक्षित है। तभी सभी NESTlings (members of NEST) ने अपने कार्य एवं विचारों का समन्वय कर सामाजिक परिवर्तन लाने तथा अन्य युवतियों को राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनने की प्रेरणा देने का बीड़ा उठाया है।
इस प्रकल्प से छात्राएं, गृहणियां, पेशेवर-कामकाजी महिलाएं, जैसे पदार्थ वैज्ञानिक, चिकित्सक, चार्टेड अकाउंटेंट, UPSC प्रतिभागी, वकील, शहरी योजनाकार, पत्रकार और फैशन डिजाइनर आदि सभी जुड़ी हैं। इन सभी का समाजहित का संकल्प ही इन्हें एकजुट हो कर परस्पर सहयोग करने की ऊर्जा तथा प्रेरणा देता है। ‘भारत को मानो,’ ‘भारत को जानो,’ ‘भारत के बनो’ और ‘भारत को बनाओ’ इस प्रयास की सीढ़ियां हैं।
The vision of this group is to connect women across Bharat, through conversation, creative methods of social transformation, and content that enriches their minds and souls. The conversation that is constructive, Creativity that transforms, and Content that puts our past, present, and future in the Bharatiya context – these three pillars will not only connect Bharatiya women across the age group of 15-35 but unite them by helping them identify with a common goal, cutting across regional and cultural identities.
सम्पूर्ण भारत में बसी महिलाओं को परस्पर संवाद, समाजपरिवर्तन की अभिनव कल्पनाएँ एवं उनके मन-मस्तिष्क और आत्मा को समृद्ध कारनेवाली गोष्ठी के द्वारा आपस में जोडना है। रचनात्मक संवाद, सृजनशील परिवर्तन तथा वर्तमान भारत को उसके भूतकाल से जोड़ते हुए भारत को उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ाने वाले विषय – इन तीन स्तंभों के माध्यम से सम्पूर्ण भारत की १५ से ३५ वर्षीय युवतियाँ न केवल परस्पर जुड़ेंगी, बल्कि उन्हें, अपने क्षेत्र-भाषा के भाव से ऊपर उठकर, समूचे भारत की अपनी अन्य बहनों के साथ सहयोग करने का अवसर मिलेगा।
NEST’s main mission is transformation — of the self, and those around us. NEST is based on the one solid principle that transformation begins with one self, and then very gently, and naturally, spills over to those around us. We are going back to the basics — eco-friendly living, giving back to the society in some way, starting small, and reaching out to those around us — simple ways to live and lead the way.
NEST का मुख्य कार्य है परिवर्तन – आंतरिक एवं बाह्य। स्वयं में परिवर्तन ही सहजत: अपने आसपास तथा समाज में परिवर्तन का कारक बनता है, इस मूल्य में हमारा दृढ़ विश्वास है। अपनी सांस्कृतिक धरोहर के आलोक में – पर्यावरण अनुकूल जीवन, समाज को किसी तरह वापिस लौटाने के छोटे – छोटे प्रयास, और मेरे आसपास के लोगों तक सहायता का हाथ बढ़ाना – आचरण से सिखाना(leading by example) यह हमारा कार्य रहेगा।
‘Dharma Chakra Pravartanaya’
This is the central theme of NEST, as well as the lives of Bharatiya people.
In Bharat, Dharma refers to a rightful path that leads to good for society as a whole. Unlike, as it’s usually misconstrued or wrongly translated, Dharma is not “religion”. One can choose any path of worship, as long their deeds increase the “social capital” of humanity and society at large. To keep this effort well-oiled and forever moving, is called Dharmachakra Pravartanaya.
It clearly appears that while working on Bharat’s constitution, the members of the constituent assembly were clear about the concept of “Dharma”. Hence, it is reflected in the motto of the Supreme Court as “Yato Dharmas-Tato Jayah”.
“Dharmachakrapravartanaya” has been embedded on the walls of the Lok Sabha and in Rajya Sabha it is “Satyam Vada, Dharmam Char”. Not only this, the chakra or wheel on our national flag is “Dharma Chakra” which is meant to keep on moving. All tasks undertaken, however small they may appear to be, of giving back to the society, help in keeping this wheel of Dharma moving and everyone should play their role in it.”
Sister Nivedita was a true believer and pioneer of this path and process. And NEST, too, endeavours to follow in her footsteps and do their bit for social transformation.
“निवेदिता” के ४ सूत्र- भारत को मानो, भारत को जानो, भारत के बनो और भारत को बनाओ.
भारत को जानने के लिए हमारा अध्ययन बढ़ना चाहिए. कुछ पुस्तकों की सूचि बनाई जाये, जिसे पढ़ने से भारत के बारे में सही कल्पना आएगी. कुछ जानकारी प्रत्यक्ष जा कर देखने से, लोगो को मिलने से, अनुभव के द्वारा भी प्राप्त हो सकती है. उसकी भी योजना बनानी चाहिए. कुछ विषयोंपर गट में चर्चा भी (group-discussion) आयोजित कर सकते हैं।
भारत को बनाने के लिए कुछ कार्य स्वयं करने के लिए सोच सकते हैं. कुछ सुझाव यहाँ प्रस्तुत है.
१. क्या हम रोज सुबह ६ से ६.३० के बीच उठ सकते हैं? सूर्योदय देखने का अपना आग्रह होना चाहिए. हम सभी अपने निवेदिता ग्रुप पर अपना सुप्रभात सन्देश दे सकते हैं.
२. पानी, बिजली और प्लास्टिक का प्रयोग कम करने की दिशा में मैं क्या पहल कर सकती हूँ. जैसे यदि मैं शावर का उपयोग स्नान के लिए करती हूँ उसके स्थान पर बाल्टी में पानी ले कर स्नान करने से क्या पानी बचाया जा जा सकता है? कभी कभी बहार अच्छा उजाला होने के बाद भी आदतन अधिक लाइट्स जलाने की हमें आदत हो गयी है. इस में अधिक सजगता(awareness) ला सकते हैं क्या? घर में पुरानी साड़ी से अच्छी थैलियां बन सकती है जो आसानी से जेब या पर्स में आ सकती है. जब चीज खरीदते हैं तब प्लास्टिक बैग के बदले अपनी कपडे की थैली का प्रयोग शुरू करें. ऐसी और भी बातें सोच सकते हैं.
३. कुछ मित्रों के साथ सार्वजनिक स्थान (विद्यालय, मंदिर, बगीचा) पर प्रति वर्ष एक वृक्षारोपण करना, उसकी देखभाल भी करना.
४. अपने जन्म-दिवस पर और अन्य एक अच्छे पर्व पर नियमित रक्तदान करना।
५. अपने घर में काम करने वाले श्रमिकों के घर जा कर आना.
६. अपने घर के पास यदि कोई झुग्गी (slums) है तो मित्रों के साथ एक बार वहां जा कर आना.
७. स्वयंसेवकों द्वारा चल रहे किसी एक सेवा प्रकल्प पर मित्रों के साथ एक दिन बिताना.
८. अन्य लोगों द्वारा चलाये जा रहे किसी एक सेवा प्रकल्प की भेंट करना.
९. वनवासी, वंचित, पिछड़े लोगों के बीच सेवा कार्य करने वाले व्यक्ति से मुलाकात कर मित्रों के साथ उनके अनुभव सुनना.
१०. यदि मेरे मित्र-परिघ(friend circle) में अनुसूचित जाती से कोई मित्र नहीं है तो ऐसे एक व्यक्ति से मित्रता करना.
११. यदि मेरे मित्र-परिघ में अनुसूचित जनजाति से कोई मित्र नहीं है तो ऐसे एक व्यक्ति के साथ मित्रता करना.
१२. परिसर में सरकारी प्राथमिक विद्यालय यदि है तो उसकी मुलाकात ले कर वहां के छात्रों की पढाई में मित्रों के साथ मिलकर सहायता करने की योजना बनाना.
१३. हमारे घर के पास कोई बुजुर्ग परिवार है जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है ऐसे लोगों की सहायता करने की योजना मित्रों के साथ बनाना.
१४. युवकों ने पढ़ने चाहिए ऐसे पुस्तकों की सूचि बना कर एक स्थान पर पुस्तकालय शुरू करवाना.
१५. १५ दिन में एक बार मित्रों के साथ एकत्र आ कर अभ्यास मंडल के माध्यम से विचार, कल्पनाएँ, पुस्तकों पर चर्चा करना. चर्चा हेतु किसी जानकर व्यक्ति को निमंत्रित भी कर सकते हैं.